बैरकपुर शिल्पांचल में एक और विश्वकर्मा पूजा बित गई। कल कारखानों के मजदूर उदासी भरी मुस्कान के साथ निर्माण के देवता का विसर्जन किए कि शायद दैवीय कृपा से आने वाले दिन सुनहरे हो। यहीं आशा कभी गौरीपुर जूट मिल, जेनसन एंड निकोल्सन कारखाना, डनवर जूट मिल के मजदूरों की थी। आज हकीकत है कि गौरीपुर जूट मिल, गरीफा की जेनसन एंड निकोल्सन कारखाना खंडहर में तब्दिल है। निर्वाचित प्रतिनिधियों की उपेक्षा, आंतरिक राजनीति, भ्रष्टाचार ने कई कल कारखानों और वहां काम करने वाले हजारों मजदूरों की भविष्य घोट गई। कारखानों को खोलने की सब्जबाग दिखा, राजनेता वोट बटोरते रहे। मजदूर छला जाता रहा। डेढ़ माह से बंद अन्नपूर्णा काटन मिल के मजदूरों से कोई विश्वकर्मा पूजा का अर्थ पूछे। जो पेट में भूख और चेहरे पर खोखली हंसी लिए पूजा के दिन गेट पर जुटे थें।