पूर्वांचल क्षेत्र बिहार और उत्तरप्रदेश के कुछ अंश में भैया दूज के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। यह भाई बहन का त्योहार है। महिलाएं गाय के गोबर से जमीन पर गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करती है। आंचलिक भाषा में इसे गोधन कहा जाता है। वहां बजरी के रुप में चना मटर खोई रख रेंगनी के कांटा से बहने भाई को श्रापती है। फिर मीट्टी की हांडी से गोवर्धन के मुंह को ढक मूसल से कूटती है। महिला प्रधान इस पूजा में बहने सामूहिक रुप से गीत गाती है। गोधन कूटने के बाद बजरी खिलाकर भाई के सुखमय एवं दीर्घायु की कामना करती है। द्वापर युग से आरंभ हुए इस पूजा के बाद ही पूर्वांचल में शादी विवाह जैसा मांगलिक कार्य आरंभ होता है।