सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लगे, पर यह सच है कि जूट मिलों से मजदूर विमुख हो रहे है। जब तक कोई चीज हमारे पास है, हम उसकी परवाह नहीं करते। कुछ ऐसी ही हरकत मजदूरों के प्रति जूट मिल मालिकों की है। बैरकपुर शिल्पांचल में एक जमाने में हड़ताल विभीषिका थी। आज मजदूर हड़ताल की परवाह नहीं करता। भाटपाड़ा में 11 जूट मिले चालू अवस्था में है। समाजसेवी प्रियांगु पांडे के अनुसार अधिक लाभांश की लालच से मिलों में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिला है। मालिक पक्ष नाम नंबर नहीं देना चाहता। फलतः मजदूर अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं है। यहीं उनकी बेरुखी का कारण है।