जितिया अर्थात जीवित्पुत्रिका व्रत करने वाली माताओं की भारी भीड़ जगदल घाट पर उमड़ी। अपने संतान को हर आफत से बचाने एवं दीर्घायु कामना से माताएं व्रत को रखती है। शनिवार पारण के साथ ही व्रत का समापन हुआ। गंगा घाट पर व्रति महिलाएं समूह में बंटकर जितिया व्रत की कथा सुनी। आपस में ही चील-सियार की कहानी सुनी जाती है। जगदल गंगा घाट के अलावा नैहाटी, गारुलिया, टीटागढ़, हाजीनगर और हालीशहर के विभिन्न गंगा घाटों पर व्रत करने वाली महिलाएं एकत्र होकर कथा सुनी।