भीड़ भरे नैहाटी लोकल में चढ़ने के क्रम में सुनील सिंह संतुलन खोकर रेल की पटरी पर जा गीरे। उनका दाहिना हाथ रेल के चक्के के चपेट में आ गई। नतीजा जान बचाने के लिए डॉक्टर को उनका हाथ कंधे से काटना पड़ा। अक्सर देखा गया है कि अंगभंग होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं के शिकार व्यक्ति का मनोबल टूट जाता है। दूसरों पर आश्रित होना उनकी मजबूरी बन जाती है। इसके विपरीत सुनील सिंह परस्थिति के सामने हार नहीं माने। हालात के साथ निरंतर लड़ाई कर के साधारण जूट मिल कर्मचारियों से ऑल इंडिया डिसएबल एम्पलाई संगठन आफ रेलवे के सहायक महासचिव एवं पूर्व रेलवे के जोनल सचिव के पद पर पहुंचे। फिर दिव्यांगजनों का बड़ा सा संगठन तैयार किए है। उनसे प्रेरणा पाकर कई दिव्यांगजन आत्मनिर्भर बने। संगठन के सदस्य राष्ट्रीयहित में मिल का पत्थर गाड़ने में लगे है।  उनका मंत्र है कि दिव्यांगजन, परिवार या समाज पर बोझ नहीं है। बल्कि कई मायनों में  उनका प्रदर्शन आम आदमी से बेहतर है। जरुरत है उन्हें निखारने की।

गरीफा के पीटरसन रोड निवासी सुनील सिंह वर्ष 1989 के 31 जुलाई को नैहाटी स्टेशन पर रेल हादसा का शिकार बने। उनदिनों गौरीपुर जूट मिल के कर्मचारी थे। परिवार चलाने के लिए अतरिक्त समय में पीयरलेस कंपनी का भी काम करते थे।  हाथ कट जाने से जूट मिल की नौकरी जाती रही। तब परिवार चलाने के लिए छोटा-मोटा व्यवसाय शुरू किए। मगर व्यवसाय रास नहीं आई। उधर, दोस्त मित्र सरकारी नौकरी पाकर आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर थें। सुनील सिंह के मार्ग में दिव्यांगता बाधक थी। वह हार नहीं माने। दिव्यांगता को ही हथियार बनाकर लड़ाई शुरु किए। नौकरी पाने के लिए दिव्यांग कोटा में कई सरकारी विभाग में आवेदन किए।  कहावत है कि हर रात की सुबह होती है।  उनके जीवन में भी सवेरा आया। कांचरापाड़ा, लिलुआ एवं आसनसोल, इन तीन जगह पर रेलवे में चयनित हुए। घर के नजदीक कांचरापाड़ा रेल कारखाना है। अतः यहां ज्वॉइन किए। यहां से उनके जीवन की दूसरी लड़ाई शुरू हुई। वह महसूस किए कि रेलवे विभाग में कार्यरत दिव्यांगजन अवहेलित है। दिव्यांगजनों को यह पता ही नहीं था कि सरकार के तरफ से उन्हें क्या-क्या सुविधा और अधिकार मिला है। कई साल निरंतर प्रयास के बाद दिव्यांग समूह जागरूक बना। फिर सुनील सिंह को अपना राष्ट्रीय प्रतिनिधि चुन आगे की लड़ाई के लिए केंद्रीय कमेटी में भेजे।  उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई बार उन्हें जीएम अवार्ड मिला है।  वर्तमान में कांचरापाड़ा कारखाना के मुख्य कार्यालय अधीक्षक के पद पर कार्यरत है। जहां से सुनील सिंह 30 सितंबर 2024 को रिटायर्ड होंगे।  वह चाहते हैं कि दिव्यांगजनों के लिए जो मसाला जलाए है। उनके जाने के बाद भी वह मसाल जलती रहे।