111 साल पहले आइसबर्ग से टकराकर टाइटैनिक जहाज समुद्र में डूब गई थी। टाइटैनिक का पहला सफर ही उसकी आखिरी सफर रही। आज भी उसका मलवा समुद्र के भीतर 26 हजार फीट की गहराई में है। ओसनगेट कंपनी विश्व के पांच धनी व्यक्तियों को मलवों को दिखाने के एडवेंचर पर ले गई थी। मगर उन्हें ले जाने वाली पनडुब्बी भी लापता हो गई। डूबे टाइटैनिक के प्रति जनता में अपार कौतूहल है। हालीशहर बाघमोड़ की त्रिपर्ण क्लब दर्शकों को डूबे टाइटैनिक के एडवेंचर की अनुभूति अपने पूजा पंडाल में कराएगी। क्लब संपादक प्रवीर सरकार ने बताया कि आम जनता टाइटैनिक के ध्वंशावशेष देखने का रोमांच अनुभव करने नहीं जा सकती। इसलिए उस थीम को चुने है।