पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा का पर्व हिन्दूओं में अत्याधिक महत्व रखता है। रास पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा जैसे कई नामों से यह पर्व विख्यात है। बैष्णव मत के अनुसार सभी ब्रम्हांडों से उपर गोलोक के रासमंडल में भगवान श्रीकृष्ण ने श्री राधा की पूजा किए थें, इसलिए यह रास पूर्णिमा के नाम से विख्यात हुआ। उधर, इसी तिथि को भगवान शिव ने अत्याचारी राक्षस त्रिपुरासुर का बध किए थें, जिसके उल्लास में देवताओं ने दीपावली मनाया था, जो देव दीपावली के नाम से विख्यात हुआ। इन दोनों मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन रास उत्सव एवं देव दीपावली मनाया जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर, सोमवार की साम कांकीनाड़ा गंगा घाट पर गंगा आरती समिति के द्वारा मां गंगा की आरती का आयोजन किया गया। साथ ही देव दीपावली मनाया गया। मुख्य आयोजक उत्तर 24 परगना जिला आरटीए के अध्यक्ष तथा तृणमूल नेता प्रियांगु पांडे ने बताया कि कांकीनाड़ा गंगा आरती समिति गत 9 साल से गंगा के किनारे आरती की व्यवस्था करती आ रही है। इसदिन बनारस एवं हरिद्वार के तर्ज पर आरती एवं देव दीपावली की व्यवस्था की गई थी। मंगलवार को चंद्र ग्रहण होने के कारण ज्योतिषाचार्यों एवं विद्वानों की सलाह पर एक दिन पहले देव दीपावली मनाई गई। हजारों जलते दियों से सजे घाट पर बड़ी संख्या में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी। सांसद अर्जुन सिंह, सीआईसी अमीत गुप्ता समेत कई जन प्रतिनिधि भी गंगा किनारे पहुंचे। शंख नाद, मंत्रोचारण और कर्णप्रिय आरती गायन ने सबका मन मोह लिया।