कांकीनाड़ाः कांकीनाड़ा के नफ्फ़रचंद जूट मिल के एक यूनियन के आपसी बर्चस्व की लड़ाई में रविवार से उत्पादन ठप हो गया। द्वंद के वजह से भारी तनाव है। जिसके मद्देनजर मिल गेट पर भाटपाड़ा थाना का पुलिस पिकेट बैठा है। प्रबंधन का कहना है कि मिल खुल है, काम पर आना अथवा नहीं आना मजदूरों का व्यक्तिगत बिषय है। यहां चार हजार मजदूर काम करते है। जिसमें से अधिकांश ठेकेदार के अधीन अस्थाई मजदूर है।
ड्राइंग विभाग में काम करने वाला राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि शनिवार रात बी शिफ्ट का काम समाप्त कर रात 10 बजे घर लौटा। इसदिन सुबह काम पर आने पर मिल बंद पाया। मजदूर काम पर क्यों नहीं आए? यह उसके समझ में नहीं आ रहा है। विभिंग विभाग में काम करने वाले मजदूर राधारमण चटर्जी का भी यहीं कहना है। मिल गेट की नोटिस बोर्ड पर हिन्दी में लिखा गया दो नोटिस लगा है। जिसमें जारी करने वाले किसी संगठन अथवा व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है। पहली नोटिस में लिखा है कि “मिल को बर्बादी की कगार पर ले जाने वाले बहरुपियों को हिदायत है कि मजदूरों की रोजीरोजी से खिलवाड़ न करें।“ वहीं दूसरी नोटिस में मजदूरों को अगाह किया गया है कि “मिल की वर्तमान परस्थिति के जिम्मेदार मिल प्रबंधन बहरुपियों के बहकावे में नहीं आए। साथ ही प्रबंधन को अगाह किया गया है कि वे बहरुपियों को आश्रय न दे।“
इस संबंध में मजदूर नेता और सांसद अर्जुन सिंह ने बताया कि मिल में काम करने वाले कुछ अपराधिक तत्व ठेकेदारी भी करते हैं। अपने बचाव में मजदूर संगठनों से उनकी सांठगांठ है। आरसीएमयू यूनियन अपने नए कमेटी का गठन की है। पुरानी कमेटी में शामिल अपराधी तत्वों को निकाल बाहर की है, उन्हें नई कमेटी में स्थान नहीं मिला है। इस बात से आक्रोशित संगठन से निकाले लोगों ने शनिवार रात काम पर गए मजदूरों को मारपीट कर मिल से खदेड़ दिए। इसदिन सुबह रात की घटना की पुनरावृत्ति हुई। घटना की पूरी रिपोर्ट प्रबंधन से लिए है। सांसद का आरोप है कि कभी एनडीपीएस मामला में गिरफ्तार अमूल्य व पवन आज मिल में ठेकेदारी करते है। मंटूआ, चांद जैसे अपराधी तत्वों के सहयोग के अशांति फैला रखे हैं। साथ ही उनका आरोप है कि प्रबंधन के एक अंश से उनकी सांठगांठ है। निर्पेक्षता से काम करते हुए अपराधी तत्वों के खिलाफ कार्यवाई करने का अनुरोध पुलिस से किए है। ताकि शांतिपूर्ण माहौल में उत्पादन चालू हो सके।