जगदलः जगदल स्टेशन और उससे सटी रेलवे की जमीन पर कई दुकाने है। रेलवे की जमीन पर अवैध रुप से कब्जा कर दुकानें बनी है। उन दुकानों को बुधवार दोपहर तक हटा लेने के लिए रेलवे विभाग ने पहले नोटिस जारी की थी। अवधी समाप्त होने पर आरपीएफ कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाने पहुंची। मगर प्रबल विरोध के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा।

गौरतलब है कि सियालदह नॉर्थ शाखा में अतिक्रमण हटाने के लिए रेल प्रशासन पूर्व में कई अभियान चलाई है। रेलवे के नियम के अनुसार अतिक्रमणकारियों को पहले जगह खाली करने के लिए नोटिस दी जाती है। नोटिस में दी गई अवधी पूरा होने पर आरपीएफ कार्रवाई कर रेलवे की जमीन को खाली करवाती है।

कार्रवाई का विरोध करने भाटपाड़ा शहर आईएनटीटीयूसी के अध्यक्ष अरूण साव जगदल स्टेशन पर पहुंचे। उनके साथ कई दुकानदार थें। आरपीएफ के सामने आईएनटीटीयूसी नेता ने दुकानदारों की रोजी रोटी की समस्या रखी। उनका पक्ष सुनने के बाद आरपीएफ ने उन्हें वैधता प्राप्त कर दुकानदारों. को व्यवसाय चलाने का परामर्श दी। अरूण साव ने बताया कि व्यवसाय चलाकर दुकानदार 35- 40 साल से अपने  परिवार की रोजी रोटी चलाते है। अगर बलपूर्वक हटा दिया गया तो उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। जगदल स्टेशन परिसर के कई साइकिल व मोटरसाइकिल गैरेज रेलवे विभाग को एक निश्चित चार्ज देकर व्यवसाय चलाने की वैधता प्राप्त कर लिए है। उसी पद्धति का अनुसरण करते हुए बाकि बचे दुकानों को वैध बनाने का प्रयास होगा। उसके लिए कुछ कागजी कार्रवाई करने की जरुरत है। कार्रवाई समय सापेक्ष विषय है। उसके लिए रेलवे प्रशासन से मोहलत मांगी गई है। जिसे आरपीएफ के अधिकारियों ने मौखिक रूप से मंजूर किए है। स्टेशन परिसर की महिला दुकानदार रेखा दास ने बताई कि पिछले 40 साल से वहां व्यवसाय कर रही है। पहले उसके पति दुकान चलाते थें। रेल हादसा में पति की मौत हुई। उनकी मौत के बाद पेट चलाने के लिए व्यवसाय चलाने को मजबूर है। इससे पहले एक बार आरपीएफ कार्रवाई की थी। उस दौरान दुकान का दरवाजा वगैरह तोड़ दिया गया था। वैधव्य के इस दहलीज पर है कि जीविका चलाने के लिए नए सिरे से कुछ भी नहीं कर सकती। अतः उसकी मांग है कि उसकी दुकान को नहीं हटाया जाए ताकि बाकी का जीवन किसी तरह से गुजार दे।