1947 में देश स्वाधीन हुआ, 1948 में देश के जंगलों में अंतिम वार चीता देखा गया, जिसके बाद भारत से चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निजी पहल से 74 साल बाद देश में चीतों का आगमन हो रहा है।

नामीबिया से उसेन बोल्ट प्रजाति के 8 चीतों को लाया जा रहा है, उन्हें मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा जायेगा, आज अर्थात शनिवार को चीतों को जंगल में छोड़ने की योजना है, आज ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 72 वां जन्मदिन है। ग्वालियर हवाई अड्डा से 165 किमी दूर नेशनल पार्क में विदेश से लाए गए चीतों को छोड़ने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां मौजुद रहेंगे।

लाए गये चीतों में पांच नर एवं तीन मादा है।  जम्बो जेट से इसदिन तड़के ग्वालियर हवाई अड्डा पर उतारे गये चीतों को हेलीकाप्टर से नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। वातावरण एडाप्टेशन के पहले दौर में उन्हें स्पेशल बाड़े में रखने की योजना है।  प्रधानमंत्री लीवर खिंचकर उन्हें बाड़े में प्रवेश करायेंगे। चीतों को देश में लाने वाले इस योजना का नामकरण प्रोजेक्ट चीता है, जो विश्व का बृहद वाइल्ड लाइफ ट्रासलोकेशन प्रोजेक्टों में से एक है।  चीतों के लाए जाने से वाइल्ड लाइफ  के जानकार काफी उत्साहित है, हांलाकि इसे लेकर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस का दावा है कि चीतों को देश में लाने की योजना मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान बनी थी।